हिन्दी साहित्य की प्रसिद्ध साहित्यकार मैत्रेयी पुष्पा का अधिकांश जीवन बुन्देलखण्ड के खिल्ली गाँव में बीता और उच्च शिक्षा झाँसी में हुई। बुन्देलखण्डी परिवेश में रहकर बड़ी हुईं मैत्रेयी पुष्पा के विभिन्न उपन्यासों, ‘इदन्नमम’, ‘बेतवा बहती रही’, ‘अल्मा कबूतरी’ आदि में बुन्देलखण्ड के भूगोल, सामाजिक-जनजीवन, संस्कृति आदि का सम्पूर्णता से परिचय मिलता है। मैत्रेयी पुष्पा को हिन्दी अकादमी द्वारा साहित्य कृति सम्मान, ‘फैसला’ कहानी पर कथा पुरस्कार, ‘बेतवा बहती रही’ उपन्यास पर उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा प्रेमचन्द सम्मान, ‘इदन्नमम’ उपन्यास पर शाश्वती संस्था बंगलौर द्वारा नंनजनागुडु तिरुमालम्बा पुरस्कार, म.प्र. साहित्य परिषद द्वारा वीरसिंह देव सम्मान तथा वनमाली सम्मान आदि से सम्मानित किया गया है। प्रस्तुत साक्षात्कार में मैत्रेयी पुष्पा ने बुन्देलखण्ड से सम्बन्धित साहित्य एवं विभिन्न पहलुओं पर अमिता चतुर्वेदी से अपने विचार व्यक्त किए हैं।