झाँसी के किले से लिया गया सम्पूर्ण झाँसी शहर का चित्र जिसमें सुदूर झाँसी की पहाड़ियों में से एक पहाड़ी दिखाई दे रही है।
बुन्देलखण्ड मध्य-भारत का ऐसा भाग है, जिसमें उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दोनों राज्यों के आंशिक क्षेत्र समाहित हैं। बुन्देलखण्ड के अलग-अलग भागों में इतिहास, संस्कृति और भाषा की दृष्टि से विविधता होते हुए भी भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक समानता लिए हुए एक अलग ही विशिष्टता है। किसी भी प्रान्त पर आधारित साहित्य में वहाँ की संस्कृति का संरक्षण उस क्षेत्र की भौगोलिक, सांस्कृतिक-जनजीवन, जनजातियों, बोली आदि विशिष्टताओं के समावेश द्वारा होता है। परन्तु बुन्देलखण्ड पर आधारित साहित्य का पर्याप्त विश्लेषण नहीं हुआ है। साहित्य किसी स्थान की विशेषताओं से समाज को समग्र रूप से अवगत कराता है और वहाँ के जनजीवन से परिचय कराकर लोकप्रियता प्रदान करता है। प्रस्तुत लेख में बुन्देलखण्डी लोक-संस्कृति एवं जन-जीवन पर आधारित साहित्य का इन सभी आयामों के परिप्रेक्ष्य में मूल्यांकन किया गया है। इस लेख का मुख्य उद्देश्य इस प्रश्न का उत्तर देना है कि क्यों साहित्य किसी क्षेत्र की संस्कृति और लोक-जीवन के ऐतिहासिक और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अध्ययन के लिए उपयुक्त माध्यमों में से एक प्रमुख विकल्प है।