Sunday, April 8, 2018

सुखद अनुभूति

कल ही मैंने गौरैया के लिए लिखा हुआ अपना लेख पोस्ट किया और आज ही मेरे घर के सामने बिजली के तार पर सात-आठ गौरैयाँ आकर बैठ गईं जिनमें से तीन नीचे आ गईं। इससे अधिक सुखद अनुभूति नहीं हो सकती।





Saturday, April 7, 2018

कभी रूठी गौरैयाँ जब फ़िर मिलीं


यादों के बहुत से झरोखे होते हैं। किसी भी समय कोई एक झरोखा एक झोंके से खुल जाता है और हम यादों में खो जाते हैं। एक याद से जुड़कर दूसरी याद, दूसरे से तीसरी, आगे और बढ़ते हुए पुराने जीवन में कुछ समय के लिए पहुँचा देती है। ऐसी ही कुछ यादों में से बचपन और युवावस्था से जुड़ी मेरी प्रतिदिन की दिनचर्या में घुली-मिली गौरैया, एक झरोखे से दिखती है।